कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट?
इंस्पेक्टर अबसार अहमद को साइबर ठगों ने किसी न किसी बहाने से कॉल और डिजिटल माध्यम से जोड़कर मानसिक दबाव में रखा। ठगों ने उन्हें अलग-अलग तरीकों से डराया-धमकाया और विश्वास में लेकर लगातार पैसों की मांग की। इस दौरान उनकी बैंकिंग डिटेल्स तक पहुंच बनाकर धोखाधड़ी की गई।
कोलकाता में हुआ आखिरी ट्रांजैक्शन
जानकारी के अनुसार, ठगों ने आखिरी बार कोलकाता से एक बड़ी राशि ट्रांसफर की थी। जैसे ही इस घटना की सूचना साइबर पुलिस को मिली, उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज कर दिया।
10 लाख रुपए वापस होंगे
साइबर पुलिस ने ठगों के बंधक बनाए गए बैंक खातों को ट्रैक कर 10 लाख रुपए फ्रीज किए हैं। यह राशि जल्द ही इंस्पेक्टर अबसार अहमद को लौटा दी जाएगी। शेष राशि को रिकवर करने के लिए पुलिस की जांच जारी है और ठगों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
साइबर ठगी से बचाव के लिए सुझाव
इस घटना के बाद पुलिस ने आम जनता को साइबर ठगी से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
- अनजान कॉल और मैसेज से बचें – किसी भी संदिग्ध लिंक या अज्ञात नंबर से आई कॉल पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
- बैंक डिटेल्स गोपनीय रखें – बैंक से जुड़ी किसी भी संवेदनशील जानकारी को ऑनलाइन साझा करने से बचें।
- साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें – किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत साइबर सेल या पुलिस को दें।
- सोशल मीडिया सुरक्षा बढ़ाएं – अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को सुरक्षित रखें और अनजान लोगों से फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें।