कैसे लगी आग?
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, आग सबसे पहले गोदाम में शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। गोदाम में रखा सामान तुरंत जलने लगा और आग की लपटें दुकानों तक पहुंच गईं। जैसे ही दुकानों से धुआं और आग की लपटें उठनी शुरू हुईं, मेले में अफरा-तफरी मच गई। लोग अपने-अपने सामान को बचाने के लिए दौड़ पड़े।
फायर ब्रिगेड ने पाया काबू
सूचना मिलते ही दमकल विभाग की 9 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। दमकलकर्मियों ने करीब 2 घंटे की मशक्कत के बाद आग को फैलने से रोका, जिससे और अधिक नुकसान होने से बच गया।
सबसे ज्यादा नुकसान इन दुकानों को
आग की चपेट में आकर 2 दुकानें पूरी तरह से जलकर राख हो गईं। इन दुकानों में रखा लाखों का माल जलकर खाक हो गया। इसके अलावा, 5 अन्य दुकानें भी आग की लपटों से प्रभावित हुईं, जिनमें धुएं और पानी से नुकसान हुआ है।
प्रभावित दुकानदारों का दर्द
दुकानदारों ने बताया कि आग इतनी तेजी से फैली कि उन्हें अपना सामान निकालने का मौका ही नहीं मिला। उनका कहना है कि वे पूरे साल मेले का इंतजार करते हैं और इस आग ने उनके सपनों को राख में बदल दिया।
प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
घटना के बाद प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। प्रशासन यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि आग लगने का असली कारण क्या था और क्या सुरक्षा उपायों में कोई कमी थी।
स्थानीय लोगों ने की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते तो आग इतनी भयानक नहीं होती।
भारी नुकसान, मुआवजे की मांग
प्रभावित दुकानदारों ने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है। उनका कहना है कि आग की वजह से उनका लाखों रुपए का नुकसान हुआ है और वे आर्थिक संकट में आ गए हैं।
पुलिस और प्रशासन सतर्क
घटना के बाद मेले में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और पुलिस लगातार गश्त कर रही है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
आग लगने की इस घटना ने एक बार फिर ग्वालियर व्यापार मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल, प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और प्रभावित दुकानदारों को मुआवजा देने पर विचार किया जा रहा है।