मौतों की बढ़ती संख्या
गांव के निवासी मुहम्मद असलम की बेटी सफीना कौसर शुक्रवार की रात गंभीर रूप से बीमार पड़ी। उसे तुरंत जम्मू के एसएमजीएस अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गई। सफीना उन छह बच्चों में से थी, जो एक ही रात में गंभीर बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं से पीड़ित हो गए थे। इनमें से चार बच्चों की मौत महज 48 घंटों के भीतर हो गई।
इससे पहले, सफीना के मामा का भी सोमवार को जीएमसी राजौरी में इलाज के दौरान निधन हो गया। अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 17 हो चुकी है, जिसमें बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
लक्षण और स्वास्थ्य विभाग की चिंता
ग्रामीणों के अनुसार, इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में गंभीर बुखार, सांस लेने में तकलीफ और अत्यधिक कमजोरी शामिल हैं। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों ने अभी तक बीमारी के सटीक कारणों की पुष्टि नहीं की है।
इस बीमारी के अचानक फैलने से गांव बडाल में हड़कंप मच गया है। स्थानीय निवासी डरे हुए हैं और अपने बच्चों व परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं।
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया
पूरे गॉव को सील कर दिया है और हेलीकाप्टर से एयर लिफ्ट कर गॉव वालो को जंबू, राजौरी और आसपास के अस्पतालों में प्रभावित लोगों का इलाज किया जा रहा है। हालांकि, अब तक बीमारी की पहचान और रोकथाम में स्वास्थ्य विभाग को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। विशेषज्ञों की टीम गांव में पानी, खाने और अन्य स्रोतों की जांच कर रही है।
ग्रामीणों की स्थिति
बडाल गांव में रहने वाले लोग अब डर और असमंजस में हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे इस बीमारी के बारे में कुछ भी नहीं समझ पा रहे हैं। कई परिवार अपने बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
सख्त कदम उठाने की जरूरत
सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में त्वरित और निर्णायक कदम उठाने होंगे। बीमारी के कारणों की पहचान, प्रभावी उपचार और जागरूकता अभियान से ही इस आपदा से निपटा जा सकता है।
निष्कर्ष
इस रहस्यमयी बीमारी से हो रही मौतों ने जम्मू-कश्मीर के इस क्षेत्र में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। यह न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि सरकार के लिए भी एक चुनौती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही इसका समाधान निकाला जाएगा और प्रभावित परिवारों को राहत मिलेगी।