यूसीसी: एक ऐतिहासिक बदलाव
समान नागरिक संहिता के लागू होने से उत्तराखंड पूरे देश में ऐसा कानून लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। मुख्यमंत्री के सचिव शैलेश बगोली ने सभी विभागों को इस संबंध में पत्र जारी कर अधिसूचना लागू करने के निर्देश दिए हैं। सीएम धामी 27 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे सचिवालय में यूसीसी पोर्टल लॉन्च करेंगे।
नए कानून में क्या होगा बदलाव?
समान नागरिक संहिता के तहत कई अहम प्रावधान किए गए हैं, जो विवाह, पारिवारिक संरचना और समाज में एकरूपता लाने के उद्देश्य से लागू होंगे:
- विवाह पंजीकरण अनिवार्य: अब सभी विवाहों का कानूनी रूप से पंजीकरण करना होगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप के नियम: लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है, जिससे ऐसे संबंधों को कानूनी सुरक्षा और संरचना मिल सके।
- लिव-इन में जन्मे बच्चों के अधिकार: लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चों को कानूनी मान्यता दी जाएगी और उनके अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे।
- नागरिक जीवन में समानता: धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव समाप्त करने और सभी नागरिकों को समान अधिकार देने पर जोर दिया गया है।
मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "समान नागरिक संहिता न केवल सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह उत्तराखंड को आधुनिक और प्रगतिशील राज्य बनाने की ओर एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह कानून राज्य के हर नागरिक को समान अधिकार और कर्तव्य सुनिश्चित करेगा।"
प्रधानमंत्री मोदी का दौरा और महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 28 जनवरी को देहरादून आगमन के ठीक एक दिन पहले इस कानून को लागू करना राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। पीएम मोदी ने भी कई बार समान नागरिक संहिता को देशभर में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
यूसीसी के लागू होने पर राज्य की जनता में उत्साह और चर्चा का माहौल है। सामाजिक और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करेगा और सामाजिक संरचना को एकरूप बनाएगा।
उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य
समान नागरिक संहिता लागू कर उत्तराखंड ने देशभर में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। अब देखना होगा कि इस ऐतिहासिक कानून को लागू करने के बाद राज्य में क्या सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं।