प्लेटफॉर्म और ट्रैक की खराब गुणवत्ता
ट्रेन सेवाओं की शुरुआत से पहले ही प्लेटफार्मों और ट्रैक की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रैक दरकने और प्लेटफार्म धंसने जैसी घटनाएं सामने आई हैं। यह स्थिति प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में बड़ी लापरवाहियों और भ्रष्टाचार को उजागर करती है।
12 महीने में सामने आई खामियां
प्रोजेक्ट शुरू होने के महज 12 महीनों के भीतर ही ट्रैक और प्लेटफार्म की खामियां सामने आ गई हैं। स्थानीय लोगों और रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए सामग्री की गुणवत्ता बेहद खराब थी। इसका असर अब ट्रैक और प्लेटफार्म की स्थायित्व पर दिख रहा है।
रेलवे अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत
जानकारों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट में रेलवे अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते गुणवत्ता से समझौता किया गया। प्रोजेक्ट की कुल लागत का बड़ा हिस्सा कथित तौर पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। इस पर अभी तक रेलवे प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है।
तीन जिलों के 50 लाख लोगों के लिए अहम प्रोजेक्ट
यह ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट ग्वालियर, श्योपुर, और मुरैना जिलों के 50 लाख से अधिक लोगों के लिए परिवहन का मुख्य साधन बनने वाला था। प्रोजेक्ट के पूरा होने से इन जिलों के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद थी। हालांकि, भ्रष्टाचार और निर्माण कार्य में लापरवाही के चलते यह प्रोजेक्ट अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है।
सरकार और प्रशासन से सवाल
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने सरकार और रेलवे प्रशासन से इस प्रोजेक्ट में हुए भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और प्रोजेक्ट को फिर से सही तरीके से पूरा किया जाना चाहिए।