गांधी जी के प्रमुख आंदोलन:
महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, ने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई महत्वपूर्ण आंदोलन किए। उनके नेतृत्व में चले ये आंदोलन न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के प्रतीक बने। गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा आंदोलन, खिलाफ़त आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, हरिजन आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलन चलाए। इन आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ आम जनता को जागरूक किया और उनका समर्थन प्राप्त किया।
- चंपारण सत्याग्रह
1917 में बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी ने भारतीयों की हालत सुधारने के लिए पहला सत्याग्रह किया। इस आंदोलन ने भारतीय किसानों के हक के लिए अहम कदम उठाए और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई की शुरुआत की।
- खेड़ा आंदोलन
गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों ने करों के खिलाफ इस आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन में गांधी जी ने किसानों को समर्थन दिया और अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ उनका विरोध किया। इस आंदोलन के दौरान किसानों ने कर न चुकाने का संकल्प लिया।
- नमक सत्याग्रह
1930 में गांधी जी ने अहमदाबाद से दांडी तक 24 दिन की पैदल यात्रा की और नमक कानून के खिलाफ सत्याग्रह किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन जागरूकता पैदा की और नमक पर अंग्रेज़ी शासन का एकाधिकार तोड़ा।
- असहयोग आंदोलन
1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन में छात्रों, मजदूरों और वकीलों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष किया। गांधी जी ने इस आंदोलन में अहिंसा के सिद्धांत का पालन किया, लेकिन गोरखपुर के चौरी-चौरा में हिंसा के बाद इसे वापस ले लिया।
- भारत छोड़ो आंदोलन
1942 में महात्मा गांधी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया और आंदोलनकारियों को प्रेरित किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक बड़ी लहर खड़ी की।
- दलित आंदोलन (हरिजन आंदोलन)
गांधी जी ने 1933 में छुआछूत के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। इस दौरान उन्होंने दलितों को ‘हरिजन’ (भगवान के लोग) का नाम दिया और उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उन्होंने इस आंदोलन के तहत उपवास रखा और जातिवाद का विरोध किया।
महात्मा गांधी के आंदोलन और उनका प्रभाव:
गांधी जी ने जो आंदोलन चलाए, उन्होंने भारतीय समाज को जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम में नए आयाम जोड़े। उनके अहिंसात्मक आंदोलनों ने न केवल भारतीय जनता को अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ एकजुट किया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अहिंसा के सिद्धांत को मान्यता दिलाई। गांधी जी का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अतुलनीय है और उनके विचार आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं।
गांधी जी के विचारों से विरोध:
फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री और सोशल मीडिया ने क्रांतिकारियों की कहानियों को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया है। भगत सिंह, बोस और आजाद जैसे क्रांतिकारी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं, जबकि गांधी जी की छवि एक आदर्शवादी नेता के रूप में सीमित नजर आती है।
आजकल कुछ लोग महात्मा गांधी की नीतियों को लेकर आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत ने स्वतंत्रता संग्राम में ज्यादा प्रभाव नहीं डाला, बल्कि कुछ क्रांतिकारी नेताओं, जैसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस के संघर्ष को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इन क्रांतिकारियों ने अपने बलिदानों से स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ दिया और भारतीय जनता को जागरूक किया।
क्यों बदला है दृष्टिकोण?
1. युवाओं की क्रांतिकारी सोच:
आज का युवा वर्ग तेजी से बदलाव चाहता है। भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की क्रांतिकारी विचारधारा उन्हें अधिक प्रेरित करती है। गांधी जी की अहिंसात्मक रणनीति को कुछ लोग धीमी प्रक्रिया मानते हैं।
2. प्रभावशाली नेतृत्व का अभाव:
आज की राजनीति में प्रभावशाली नेतृत्व का अभाव है। ऐसे में लोग सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह के साहस और स्पष्ट दृष्टिकोण की सराहना करते हैं।
3. इतिहास की पुनर्व्याख्या:
आधुनिक इतिहासकार और फिल्म निर्माता आजादी के संघर्ष की नई कहानियां सामने ला रहे हैं। फिल्मों, किताबों और सोशल मीडिया ने सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की छवि को और भी नायकत्व प्रदान किया है।
4. गांधी जी की आलोचना:
कुछ आलोचक मानते हैं कि गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत ने स्वतंत्रता को विलंबित किया। उनके निर्णय, जैसे असहयोग आंदोलन को वापस लेना और विभाजन को स्वीकार करना, विवाद का कारण बने।
नाथूराम गोडसे और गांधी जी की हत्या:
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। गोडसे एक कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी था, और उसका मानना था कि गांधी जी ने देश के विभाजन के दौरान मुस्लिमों के प्रति पक्षपाती रुख अपनाया था। गोडसे को लगता था कि गांधी जी ने अपनी नीतियों से हिंदुओं के हितों को नुकसान पहुंचाया और देश में विभाजन के लिए जिम्मेदार थे। गांधी जी की हत्या ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को झकझोर दिया।
गांधी जी की हत्या के पीछे कई कारण दिए जाते हैं, जिनमें से प्रमुख था उनका मुस्लिमों के प्रति सहानुभूति दिखाना और पाकिस्तान को लेकर उनकी नीति। नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या करने के बाद यह तर्क दिया कि गांधी जी ने हिंदू हितों की अनदेखी की और पाकिस्तान के प्रति अपना प्रेम दिखाया।
नाथूराम गोडसे को गिरफ्तार किया गया और उसे 15 नवंबर 1949 को फांसी की सजा दी गई। गांधी जी की हत्या के बाद भारत में शोक की लहर दौड़ गई और उन्होंने हमें यह सिखाया कि सच्चे नेता वही होते हैं जो अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलते हैं।
निष्कर्ष:
महात्मा गांधी का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण था। उनका अहिंसा और सत्याग्रह का सिद्धांत आज भी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत है। हालांकि, कुछ लोग आज के समय में गांधी जी के तरीके को कम प्रभावी मानते हैं, लेकिन यह सच है कि उनके द्वारा किए गए आंदोलन और उनके दृष्टिकोण ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। गांधी जी की हत्या के बाद उनके विचारों की अहमियत और भी बढ़ गई है, और उनका योगदान हमेशा भारतीय राजनीति और समाज के साथ जुड़ा रहेगा।